क्या नीट का पेपर लीक, भर्ती परीक्षा के केंद्रों पर होता है बड़ा खेल, जानिए-पेपर लीक को कैसे रोका जा सकता है

नई दिल्ली: हर साल लाखों छात्र बोर्ड परीक्षाओं, यूनिवर्सिटी परीक्षाओं और प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठते हैं। मगर, अब देश की यह नियति बन चुकी है कि कोई भी परीक्षा फुल प्रूफ नहीं बन पाती है। ऐसे में देश का युवा बेहद हताश हो जाता है। एक अनुमान के अनुसार,

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नई दिल्ली: हर साल लाखों छात्र बोर्ड परीक्षाओं, यूनिवर्सिटी परीक्षाओं और प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठते हैं। मगर, अब देश की यह नियति बन चुकी है कि कोई भी परीक्षा फुल प्रूफ नहीं बन पाती है। ऐसे में देश का युवा बेहद हताश हो जाता है। एक अनुमान के अनुसार, बीते सात साल में कई राज्यों में प्रश्नपत्र लीक होने की वजह से 1.5 करोड़ से ज्यादा छात्र प्रभावित हुए। 70 से ज्यादा पेपर लीक के मामले बीते सात साल में सामने आ चुके हैं। ताजा मामला देशभर में मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए हुई नेशनल एंट्रेंस कम एलिजिबिलिटी टेस्ट (NEET) की परीक्षा का है। इस परीक्षा के पेपर लीक की खबरें सामने आई हैं। वहीं, राजस्थान के सवाई माधोपुर समेत कई सेंटरों पर छात्रों ने गलत पेपर बांटने का आरोप लगाया। हालांकि, अभी आधिकारिक रूप से कुछ कहा नहीं गया है। बिहार के पटना और बिहार शरीफ के साथ-साथ झारखंड के रांची में भी छापेमारियां हुई हैं। मामले में पुलिस ने कई लोगों को हिरासत में भी लिया है और उनसे पूछताछ की जा रही है। बीते रविवार को हुई इस परीक्षा के लिए 24 लाख छात्रों ने रजिस्ट्रेशन कराया था, जिसमें से 23.3 लाख इस परीक्षा में बैठे।पेपर लीक बढ़ने की वजह शिक्षा माफियाओं की एंट्री
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा में कुलपति रहे और उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक रहे विभूति नारायण राय ने कहा-पेपर लीक की अहम वजह है कि इसमें तकनीक का शामिल होना। बिचौलियों, शिक्षा माफियाओं की एंट्री और यूनिवर्सिटी-कॉलेज प्रशासन के कुछ लोभी लोगों के शामिल होने से पेपर लीक के मामले बढ़े हैं, जिनका मकसद हर हाल में सिर्फ पैसे कमाना होता है। ये लालची लोग होते हैं। सारा खेल भर्ती परीक्षा के केंद्रों के अलॉटमेंट में होता है। शिक्षा माफिया इसी के जरिए अपना हित साधते हैं। ये पेपर लीक करके मुंहमांगी कीमत पर छात्रों को बेचते हैं। ये गड़बड़ी पेपर बनाने वाली मशीनों से लेकर परीक्षा केंद्रों तक पेपर ले जाने के दौरान भी की जाती हैं।

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पेपर लीक की रोकथाम के लिए सब कुछ इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम हो
आईपीएस अफसर रहे विभूति नारायण राय बताते हैं कि जिस तकनीक की वजह से पेपर लीक के मामले बढ़ रहे हैं, उसी को हथियार बनाया जाना चाहिए। अब तो सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी की मदद से परीक्षा प्रक्रिया को आसाना बनाया जा सकता है। एक सेंट्रल सॉफ्टवेयर होना चाहिए, जिस पर समूची परीक्षा प्रणाली टिकी होनी चाहिए, ताकि धांधली की गुंजाइश कम से कम हो सके। ऑटोमेटेड प्रॉसेस होना चाहिए, जिससे मैनुअल गलतियों से बचा जा सकता है और पेपर लीक की आशंका कम हो जाती है। पेपर सेट करने का तरीका भी इलेक्ट्रॉनिक होना चाहिए। सॉफ्टवेयर की ही मदद से क्वेश्चन पेपर के सेट तैयार किए जाने चाहिए। पेपर की प्रिंटिंग और डिलीवरी भी ऑनलाइन होनी चाहिए, जिससे पेपर लीक न होने पाए।
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जिस सेंटर से पेपर लीक हो, उसके बड़े अफसरों पर कसी जाए नकेल
एक्स डीजीपी रहे विभूति नारायण राय कहते हैं कि जिन सेंटरों पर पेपर लीक हों, उनके शीर्ष अधिकारियों पर नकेल कसी जानी चाहिए। उनकी 'गर्दन' कटनी चाहिए। पेपर लीक के मामले में बड़े अफसरों को जवाबदेह बनाना चाहिए। उन पर गाज गिरनी चाहिए। जिस सेंटर से पेपर लीक हुआ है, उस सेंटर को परीक्षा कराने का अधिकार देने की प्रक्रिया की भी जांच होनी चाहिए। अभी पेपर लीक मामले में चपरासी या मास्टर या लाइब्रेरियन वगैरह को दोषी ठहराकर पकड़ लिया जाता है और यह मामला नहीं रुक पाता है।

राजस्थान-गुजरात पेपर लीक के मामले में आगे
राजस्थान-गुजरात में अक्सर पेपर लीक के मामले सामने आते रहे हैं। बीते कुछ सालों में तो यह काफी बढ़ा है। राजस्थान में बीते कुछ सालों से पेपर लीक कई मामले सामने आ चुके हैं। 2015 से लेकर 2023 तक कई प्रतियोगी परीक्षाओं के 14 पेपर लीक मामले सामने आ चुके हैं। बीते साल स्कूल टीचर की भर्ती में जनरल नॉलेज का पेपर लीक हो गया था। इसके बाद परीक्षा ही रद्द कर दी गई थी। यह परीक्षा राजस्थान की भर्ती करने वाली सर्वोच्च संस्था राजस्थान पब्लिक सर्विस कमीशन ने कराई थी। इसी तरह इस राज्य में यूजीसी नेट और पुलिस भर्ती के पेपर भी लीक हो चुके हैं। वहीं, गुजरात में भी बीते सात साल में कम से कम 14 पेपर लीक की ऐसी घटनाएं देखने को मिली हैं। इनमें चीफ ऑफिसर, तलाती परीक्षा, टीचर भर्ती, मुख्य सेविका, नायब चिटनिस, हेड क्लर्क, फॉरेस्ट गार्ड जैसी परीक्षाएं शामिल हैं।
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यूपी-बिहार में पेपर लीक ज्यादा
यूपी में भी पेपर लीक के मामले अक्सर सुनाई दे जाते हैं। सरकार भले ही फुलप्रूफ परीक्षा कराने के बड़े-बड़े दावे करती रही हो, मगर परीक्षाओं को लीक होने से नहीं रोक पा रही है। 2017-2024 के बीच उत्तर प्रदेश में पेपर लीक के कम से कम 10 मामले सामने आ चुके हैं। साल, 2024 की शुरुआत बेहद खराब रही। यूपी में अब तक पेपर लीक के तीन मामले सामने आए, जिसमें दो भर्ती परीक्षा रद्द कर दी गई। 17 और 18 फरवरी 2024 को यूपी पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा-2023 कराई गई थी। पेपर लीक की वजह से इसे रद्द करना पड़ा। सरकार ने कहा है कि अगले छह महीने के अंदर दोबारा परीक्षा कराई जाएगी। वहीं, उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की ओर से समीक्षा अधिकारी (RO) और सहायक समीक्षा अधिकारी (ARO) परीक्षा 11 फरवरी, 2024 को कराई गई थी। बाद में यह भी परीक्षा रद्द कर दी गई। इसके अलावा, यूपी बोर्ड की 29 फरवरी को आगरा में 12वीं क्लास के जीव विज्ञान और गणित की परीक्षा का पेपर व्हाट्सएप पर लीक हो गया।

कुछ राज्यों में तो पेपर लीक बना चुनावी मुद्दा
कुछ राज्यों में पेपर लीक तो चुनावी मुद्दा भी बन गया। राजस्थान चुनाव के दौरान पीएम मोदी ने चुनावी सभाओं में तत्कालीन गहलोत सरकार पर प्रश्नपत्र बेचने का आरोप लगाया। वहीं, तेलंगाना में कांग्रेस ने के चंद्रशेखर राव सरकार को इस मामले में कटघरे में खड़ा किया। बिहार में भी पेपर लीक राजनीतिक मुद्दा बना। मई, 2022 में 6 लाख से ज्यादा अभ्यर्थियों बिहार लोक सेवा आयोग के समक्ष प्रदर्शन किया। उस समय आयोग ने पेपर लीक होने की वजह से प्रारंभिक परीक्षा रद्द कर दी थी। सितंबर, 2021 में नीट परीक्षा लीक हुई थी। तब सीबीआई ने दिल्ली-एनसीआर समेत देश के 19 स्थानों पर जेईई मेन की परीक्षा में धांधली को लेकर छापेमारी की थी।


पेपर लीक रोकने के लिए सरकार ने पारित किया विधेयक, 19 साल की जेल
इसी साल फरवरी में संसद ने लोक परीक्षा (अनुचित साधनों का निवारण) विधेयक, 2024 पारित कर दिया। इस विधेयक में सरकारी भर्ती और प्रतियोगी परीक्षाओं में पेपर लीक और फर्जी वेबसाइट जैसी अनियमितताओं के खिलाफ नकेल कसी गई है। इसमें नकल से रोकथाम के लिए न्यूनतम तीन साल से पांच साल तक के कारावास और ऐसे संगठित अपराध में शामिल लोगों को 5 से 10 साल तक की जेल की सजा का प्रावधान है। साथ ही मिनिमम एक करोड़ रुपए के जुर्माने का प्रावधान है। केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने तब यह साफ किया था कि छात्र या अभ्यर्थी इस कानून के दायरे में नहीं आते।

एसएससी, रेलवे, बैंकिंग भर्ती से लककर यूपीएससी की परीक्षाएं दायरे मेंविधेयक के दायरे में यूपीएससी, एसएससी, रेलवे-बैंकिंग भर्ती परीक्षाएं और राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) की ओर से आयोजित सभी कंप्यूटर आधारित परीक्षाएं आएंगी। विधेयक के अनुसार, प्रश्नपत्र या उत्तर कुंजी का लीक होना, सार्वजनिक परीक्षा में अनधिकृत रूप से किसी भी तरीके से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अभ्यर्थी की मदद करना और कंप्यूटर नेटवर्क या कंप्यूटर संसाधन या कंप्यूटर सिस्टम के साथ छेड़छाड़ करना किसी व्यक्ति, लोगों के समूह या संस्थानों द्वारा किए गए अपराध हैं।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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